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उत्तराखंड में पर्यटन नहीं बल्कि तीर्थाटन-स्वामी चिदानन्द सरस्वती

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ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती और केंद्रीय रक्षा एवं पर्यटन राज्यमंत्री अजय भट्ट की भेंटवार्ता हुई। इस विशिष्ट मुलाकात के दौरान उत्तराखंड में स्वच्छ, स्वस्थ और हरित पर्यटन के विषय में विस्तृत चर्चा हुई। नैसर्गिक सौन्द्रर्य से युक्त चार धाम धार्मिक यात्रा को सुरक्षित और प्लास्टिक मुक्त बनाने हेतु विशेष चर्चा की।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि हमारी यात्रायें इको-फ्रेंडली’ और पर्यावरण फ्रेंडली होना चाहिये। उत्तराखंड के चार पावन तीर्थ क्षेत्रों केदारनाथ, बद्रीनाथ, यमुनोत्री और गंगोत्री धामों के मार्गों को सुरक्षित बनाने के साथ ही स्वच्छ और प्लास्टिक फ्री करना बहुत जरूरी है क्योंकि इससे हमारा वन्य जीवन और सदानीरा नदियों का जल भी प्रदूषित हो रहा है।

श्री सरस्वती ने कहा कि उत्तराखंड की पर्यावरणीय समृद्धि में माँ गंगा का महत्वपूर्ण योगदान है। उत्तराखंड में पर्यटन श्रद्धा, भक्ति, शान्ति, आध्यात्मिक शक्ति और नैसर्गिक सौन्द्रर्य प्राप्त करने के लिये होना चाहिये। वास्तव में यहां पर पर्यटन नहीं बल्कि तीर्थाटन हो। पहले श्रद्धालु उत्तराखंड में माँ गंगा के तटों पर तीर्थाटन के लिये ही आते थे परन्तु अब तीर्थाटन का स्थान पर्यटन ने ले लिया। चार धाम यात्रा और माँ गंगा का पावन तट पर्यटन का नहीं बल्कि तीर्थाटन के लिये पवित्र स्थान है।

स्वामी जी ने कहा कि भारत के प्रत्येक धार्मिक स्थलों पर तीर्थाटन के साथ ईकोटूरिज्म स्थापित किया जाना बहुत जरूरी है क्योंकि तीर्थाटन की संस्कृति ही भारत की संस्कृति है। सनातन संस्कृति और मानवता के दिव्य सूत्रों को जीवंत बनाये रखने के लिये यात्रायें और मेलों का आयोजन बहुत जरूरी है परन्तु हमारी कोशिश हो कि हम अपने मेलों को मैला न होने दें यह भी बहुत जरूरी है। साथ प्राकृतिक सौन्दर्य को जीवंत बनाये रखने हेतु सभी मिलकर योगदान प्रदान करें।

केंद्रीय रक्षा एवं पर्यटन राज्यमंत्री अजय भट्ट ने ऑल वेदर प्रोजेक्ट, चार धाम यात्रा को सुचारू रूप से संचालित करने तथा श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की कठिनाईयों का सामना न करना पड़े इस विषय में भी विशेष चर्चा की।

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