पर्यटनउत्तराखंड

शहर से नजदीक एक पहांड़ी स्वर्ग बुद्धा होम्स होम स्टे

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  • देहरादून के ओली गांव में स्थित है बुद्धा होम स्टे
  • चारों तरह मौजूद हैं अप्रतिम सौंदर्य व दृश्य

बुद्धा होम स्टे की संचालिका दीपशिखा से जानते है यहां की खासियत। दीपशिखा बताती है कि यहां आने वाले पर्यटकों के रहने खाने की व्यवस्था को घरेलू पहाड़ी परिवेश से जोड़ने के अनेक प्रयोग किये गए है। कमरों व टेरेस को प्रकृतिक रूप से सजाने व सवारने के साथ उन्हें वातावरण के अनुकूल रखा गया है।

बुद्धा होम्स होम स्टे देहरादून के ओली गावं की मुख्य सड़क पर प्राइमरी स्कूल के निकट स्थित है। घंटाघर से यहां की दूरी लगभग सात किमी है। शहर से लगता हुआ यह छोटा सा पहाड़ी गांव प्राकृतिक सौंदर्य का खजाना है। यहां तक पहुंचने के लिए रायपुर रोड़ व सहस्त्रधारा रोड़ नालापानी चौक यह दो रास्तों का प्रयोग किया जा सकता है। रायपुर से दूरी मात्र दो किमी तथा नालापानी चौक से दूरी लगभग तीन किमी है। नालापानी चौक से और रायपुर खाले से आने के दौरान दोनों तरफ घने साल के जंगलों व छोटे छोटे पानी के झरनों का आनंद लिया जा सकता है। ओली चारो तरफ से प्राकृतिक संपदा से आच्छादित है। बुद्धा होम्स होम स्टे के सामने अविरल बहती बांदल नदी घाटी व उससे लगती हुई द्वारा, अखंडवाली भिलंग, आनंद चौक, मरोड़ापुल की पहाड़ियों का विहंगम दृश्य प्रफुल्लित कर देने वाला होता है। हिमाच्छादित होने पर तो इन पहाड़ियों का दृश्य और भी अलौकिक हो जाता है। ओली से नीचे केशरवाला गांव का दृश्य भी कम लुभावना नहीं है। धान के खेतों में काम करते किसान व गांव के छोटे से मंदिर से आने वाली भजनों की मंद मंद आवाज कानों को सुख देने वाली होती है। केशरवाला से घाटी चढ़ कर ओली के जंगलों में घास लेने आने वाली घसियारियों व बकरी पालकों को आज भी देखे जा सकते है। शहर से इतने नजदीक इस पहाड़ी गांव से एक रास्ता बजेत होते हुए मालदेवता भी निकलता है। ओली से वैदिक साधन आश्रम, सागर ताल होते हुए खलंगा युद्ध स्मारक पर्यटक भी जाया जा सकता है। ओली से स्मारक की दूरी लगभग पांच किमी है। खलंगा स्मारक जाने के रास्ते में एक दुर्गा मंदिर भी स्थित है। यहां से खड़ी चढ़ाई शुरू हो जाती है जो इस इस ऐतिहासिक युद्ध स्मारक तक पहुंचने के उत्साह हो बढ़ा देती है। यह दुनिया के विरले स्मारकों में से एक है। यहां पर 1814 में अंग्रेजों व गोरखों का युद्ध हुआ। हालांकि अंग्रेज सेना इस युद्ध में विजयी रहीं परंतु उनको इसकी भारी कीमत चुकानी पढ़ी। सेना ने अपना जनरल गिलेप्सी इस युद्ध में खो दिया। अपने प्रतिद्धंदियों के इस अप्रतिम साहस व शौर्य को सम्मान देने के लिए लिये अंग्रेजों ने यहां पर दोनो सेनाओं के शहीद हुए अधिकारियों व सैनिकों के सम्मान में दो स्मारकों का निर्माण कराया।
होम स्टे के सामने व पीछे सुंदर बागीचे हैं। जिनमे आम, अमरूद, लीची, केले आदि के पेड़ है। इसके साथ ही यहां पर आने वाले पर्यटकों को सबजी के छोटी छोटी क्यारियों को भी देखने का आनंद दिया जाता है। इन क्यारियों में अदरक, हल्दी, टमाटर, लाहसुन, मिर्च आदि के पौधे लगाए गए है। पीछे एक छोटी गौ शाला भी है। यह सब बच्चों को खास आकर्षित करने वाले प्रयोग है। बच्चे जान सकें की दूध, फल, सब्जिजयों का उत्पादन होता है न कि वह पैकेटों में उपलब्ध होती है।
यदि होम स्टे से नजदीकी पर्यटक स्थलों की बात करें तो मसूरी, घनौल्टी, मरोड़ा पुल, मां सुरकण्डा देवी मंदिर, कनाताल, टिहरी झील, लाल पुल, ल्वारखा झील, पीपीसीएल, सहसत्रधारा, एमडीडीए पार्क, पुराना राजपुर, क्लेमनटाउन, मालदेवता आदि प्रमुख हैं।

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