देहरादून , 24 मार्च 2021: आमतौर पर हिमालयी क्षेत्रों में अचनाक से बाढ़ मानसून में आती है लेकिन 7 फरवरी, 2021 को भारतीय हिमालय क्षेत्र में धौलीगंगा नदी के जल प्रवाह में अचानक वृद्धि से बाढ़ आ गयी जब कि सर्दियों में ग्लेशियर से बहती नदियों का प्रवाह कम रहता है। इस घटना में 204 लोग मारे गए, और पालतू जानवरों, कृषि भूमि, संपत्ति और इंफ्रास्ट्रक्चर का भी भारी नुकसान हुआ। 06 पुलों के धंसने से 13 गाँवों में सपंर्क टूट गया और दो जल विद्युत परियोजनाएँ ऋषिगंगा (13.2 मेगावाट) और तपोवन (520 मेगावाट) को भी बाढ़ ने तहस-नहस कर दिया था। इसके अलावा ऋषिगंगा घाटी के जलमार्ग में एक झील अस्तित्व में आई जो रतूड़ी गदेरा द्वारा जमा मलबे के के कारण बनी। इस आपदा के कारणों को लेकर अभी भी शोधकर्ता एकमत नहीं हैं । राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने आपदा के कारणों को जानने के लिए दो उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समितियों का गठन किया। पहली समिति को नदी के ऊपर वाले इलाकों की जांच के लिए और दूसरी समिति को नदी के निचे वाले इलाकों में अचनाक आई बाढ़ के प्रभाव का आकलन करने के लिए बनाई गई तथा अचानक बाढ़ और उसके प्रभावों को भविष्य में रोकने के लिए स्पष्ट रणनीति तैयार करने को कहा गया।
राज्य आपदा प्रबंधन मंत्री धन सिंह रावत ने हिमालय क्षेत्र में आने वाली आपदाओं के बारे में बताया और कहा कि विकास संबंधी कार्यो में सदैव आपदा सुरक्षा और आम जनता के कल्याण के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता पर ध्यान देना चाहिए । चमोली में आयी ऋषिगंगा बाढ़ के राहत कार्यो के दौरान उन्होंने देखा की इस बाढ़ के कारण नदी में निर्मित अवरोध ने नदी अत्यधिक चौड़ी हो गयी है और भविष्य में होने वाले किसी भी आपदा का पहले से सटीक अनुमान लगन जरूरी है। उन्होंने आगे बताया कि राज्य जल्द ही एक समर्पित आपदा प्रबंधन अनुसंधान संस्थान खोलने जा रहा है जो जनता को आपदा प्रबंधन का प्रशिक्षण और उसे रोकने की तकनीकों को सिखाया जायेगा ।
आपदा प्रबंधन मंत्री धन सिंह रावत की अध्यक्षता में आयोजित इस गोष्टी में ले. जनरल (रि.) सय्यद अता हसनैन, सदस्य , राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, राजेंद्र सिंह , सदस्य , राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण , एस ए मुरुगेशन , सचिव उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (यूएसडीएमए) तथा विभाग के अन्य अधिकरी , प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल , वाईस चांसलर दून यूनिवर्सिटी, प्रोफेसर ओ पी एस नेगी , वाईस चांसलर, उत्तराखण्ड ओपन यूनिवर्सिटी , डॉ कुमकुम रौतेला, निदेशक, उच्च शिक्षा, उत्तराखण्ड सरकार और कुमाऊँ विश्वविद्यालय, श्री देव सुमन विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि ने भाग लिया। विभिन्न विश्वविद्यालयों आये प्रतिनिधियों ने माननीय मंत्री जी को बताया की उनके विश्वविद्यालयों में अभी कोन कोन से कोर्स चल रहे हैं। उत्तराखण्ड ओपन यूनिवर्सिटी ने आपदा प्रबंधन में पी जी डिप्लोमा का कोर्स पहले से ही चल रहा है और कुमाऊँ विश्वविद्यालय जल्द ही डिप्लोमा और डिग्री कोर्स शुरू करने वाला है। विस्तृत विचार-विमर्श के बाद माननीय मंत्री जी ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि आपदा प्रबंधन के कोर्स शुरू करने के लिए जल्द से जल्द सभी छात्रों के लिए अंडर ग्रेजुएट स्तर पर आपदा प्रबंधन के कोर्स शुरू एक अनिवार्य विषय के रूप में , कामकाजी पेशेवरों और उद्यमियों के लिए एक शार्ट टर्म सर्टिफिकेट कोर्स , विश्वविद्यालयों द्वारा आपदा प्रबंधन में पीजी डिप्लोमा और पीजी स्तर पर एक विषय के रूप में आपदा प्रबंधन का कोर्स शुरू किया जाय।
देहरादून के बीजापुर गेस्ट हाउस में विशेषज्ञ समिति की एक बैठक धन सिंह रावत, मंत्री, आपदा प्रबंधन की अध्यक्षता में आयोजित की गई। जीएसआई, एनआरएसए, आईआईटी, डीआरडीओ, डब्ल्यूआईएचजी, सीडब्ल्यूसी, टीएचडीसी, युसीएडीए, एनडीऍमए, आईटीबीपि, एसडीआरऍफ़, बीआरओ, एनआईडीएम , आईएम्डी , एनटीपीसी और कश्मीर यूनिवर्सिटी के अधिकारी भी उपस्थित थे ।