स्वास्थ्यउत्तराखंड

CM धामी ने राष्ट्रीय होम्योपैथिक सम्मेलन ‘होम्योकॉन- 2023’ का शुभारंभ किया

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हर्षिता टाइम्स।
देहरादून, 14 मई। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को दून विश्वविद्यालय, देहरादून में राष्ट्रीय होम्योपैथिक सम्मेलन ‘होम्योकॉन- 2023’ का शुभारंभ किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने होम्योपैथिक पर बनी डॉक्यूमेंट्री को लॉच किया। होम्योपैथी के क्षेत्र में सराहनीय कार्य करने वाले चिकित्सकों को मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर सम्मानित भी किया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने होम्योपैथी के जन्मदाता सैमुअल क्रिश्चियन हैनिमैन का स्मरण करते हुए कहा कि उन्होंने होम्योपैथी के रूप में एक ऐसी उपचार पद्धति विकसित की, जो अत्यंत कारगर होने के साथ साथ किफायती भी थी। उन्होंने कहा कि शरीर ही सारे कर्तव्यों को पूर्ण करने का एकमात्र साधन है। शरीर की रक्षा करना और उसे निरोगी बनाये रखना मनुष्य का सर्वप्रथम कर्तव्य है। यदि मनुष्य निरोगी होगा तो, वह जीवन में सब कुछ कर सकता है। जीवन शैली में तेजी से बदलाव हो रहा है, ऐसे में और भी अधिक आवश्यक हो जाता है कि हम अपने शरीर का जितना हो सके उतना ख्याल रखें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा होम्योपैथी को विश्व की दूसरी सबसे बड़ी प्रचलित चिकित्सा पद्धति माना गया है। हम सभी ने कोरोना काल में होम्योपैथी की दवाइयों सहित पारंपरिक चिकित्सा के महत्व को बहुत करीब से देखा है, जिसके बाद होम्योपैथी की विश्वभर में स्वीकार्यता बड़ी है। इन सुखद परिणामों के चलते ही नई स्वास्थ्य नीति में होम्योपैथी को एक प्रमुख चिकित्सा पद्धति के रूप में स्थान मिला है। राज्य सरकार देवभूमि को एक महत्वपूर्ण आयुष प्रदेश के रूप में स्थापित करने हेतु कृत संकल्पित है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड जैसे विषम भौगोलिक परिस्थिति वाले राज्य में आयुष और विशेष रूप से किफायती और कारगर होने के कारण होमियोपैथी चिकित्सा पद्धति की महत्ता और बढ़ जाती है।
केन्द्रीय राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने कहा कि उत्तराखण्ड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य ने होम्योपैथी और आयुष को तेजी से आगे बढ़ाने का कार्य किया है। उन्होंने कहा कि होम्योपैथी जटिलतम रोगों के निदान का एक कारगर उपाय है। देवभूमि उत्तराखण्ड आयुष की प्रेरक रही है। इनको हमें अधिक से अधिक बढ़ावा देना होगा।
इस अवसर पर सचिव आयुष एवं आयुष शिक्षा डॉ. पंकज कुमार पाण्डेय, कुलपति दून विश्वविद्यालय प्रो. सुरेखा डंगवाल, निदेशक होम्योपैथिक डॉ. जे.एल. फिरमाल, डॉ. रामजी सिंह, डॉ. नितीष दुबे, डॉ. जसवंत पाटिल एवं होम्योपैथी से जुड़े चिकित्सक उपस्थित थे।

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